आरति कीजै हनुमान-No.1
आरति कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की |
जाके बल से गिरिवर कांपै,
रोग – दोष जाके निकट न झांपै।
अंजनीपुत्र महाबलदाई,
सन्तन के प्रेम सदासहाई।
आरति कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की |
जाके बल से गिरिवर कांपै,
रोग – दोष जाके निकट न झांपै।
अंजनीपुत्र महाबलदाई,
सन्तन के प्रेम सदासहाई।
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रं – मां दुर्गा हिंदुओं की प्रमुख देवी है| जिन्हें शक्ति की देवी कहा जाता है| इनकी तुलना परम ब्रह्म से की गई है| इन्हें जगदंबा भी कहते हैं| इन्हें गुणवती
आरती कुंजबिहारी की : श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में, भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था | उन्होंने भगवान श्री विष्णु के दसवें अवतार
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा, ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा, एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥-ॐ जय
भारतीय ज्योतिष में पंचक इतना महत्वपूर्ण क्यों है : हमारे हिंदू संस्कृति में, हर एक कार्य करने के पहले मुहूर्त देखा जाता है और उसी अनुरूप कोई भी शुभ कार्य की प्रक्रिया आरंभ की जाती है | शुभ मुहूर्त में
एक आस तुम्हारी है (A hope is yours) – यह एक भक्ति भजन है जो की श्री संजय मित्तल ने बड़ी भक्ति के साथ गाया है | वैसे भी श्री संजय मित्तल को कौन नहीं जानता, वे जब गातें हैं तो आँखों
भद्रा कब है 2020 – भद्रा का दूसरा नाम विष्टि करण है। कृष्णपक्ष की तृतीया, दशमी और शुक्ल पक्ष की चर्तुथी, एकादशी के उत्तरार्ध में एवं कृष्णपक्ष की सप्तमी-चतुर्दशी, शुक्लपक्ष की अष्टमी-पूर्णमासी के पूर्वार्ध में भद्रा रहती है। तिथि के पूर्वार्ध की दिन की भद्रा
काशी विश्वनाथ मंदिर : युगों – युगों से बहती गंगा, जब गंगोत्री से निकलती हुई हरिद्वार, प्रयाग के रास्ते जब बनारस की धरती को स्पर्श करती है तो उस समय का दृश्य बड़ा अद्भुत और मनोरम होता है
जानिए भद्रा अशुभ क्यों है (Know why Bhadra is unlucky) : हर मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि भद्रा काल में किस भी मंगल कार्य की शुरुआत या समापन अशुभ मा