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About Vijaya Dashmi: विजया दशमी हमारे प्रमुख त्योहारों में से एक है। विजया दशमी का अर्थ है, विजय प्राप्त करने वाली दशमी, अर्थात आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को विजया दशमी के रूप में मनाया जाता है। इस पावन विजया दशमी के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध करके उस पर विजय प्राप्त की थी और इसी दिन श्री राम भगवान ने लंकापति रावण को युद्ध में हराकर उसका वध किया था।धर्मग्रंथो के मुताबिक, इस दिन सूर्य तुला राशि और चंद्रमा मकर राशि में होता है और साथ ही धनिष्ठा नक्षत्र भी रहता है| दशहरा का पर्व, दिवाली से ठीक 20 दिन पहले अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है|
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Tithee and suspicion: धार्मिक मान्यताओ के अनुसार, यदि दशमी तिथी दो दिनों की हो, परन्तु दुसरे दिन के अपराह्न काल में यदि श्रवण नक्षत्र नहीं मिल रहा हो तो ऐसी स्तिथि में विजया दशमी पहली तिथी को ही मान्य होगा| कल दशहरा का शुभ मुहूर्त, दोपहर 2.18 बजे से 3.04 बजे तक था| यही है बड़ी वजह, जिसके कारण कल रविवार 25 अक्टूबर को दशहरा का यह पर्व देश के बड़े हिस्सों में मनाया गया|
हालाँकि, दशमी तिथी आज सोमवार, 26 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 31 मिनट तक है| परन्तु अपराह्न काल न होनेे ही वजह से, दशहरा के पर्व का कल मना लेने की बड़ी वजह रही है| परन्तु दुर्गा पूजा में अपराह्न काल वाली कोई वजह न होने के कारण और दशमी सोमवार तक होने की वजह से, माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन कल सोमवार को सुबह 11 बजकर 31 मिनट के बाद से पूरा दिन चलेगा|
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Importance of Dussehra: सनातन धर्म में दशहरे के त्यौहार का विशेष महत्व है| माँ भगवती की 9 दिन की पूजा समाप्त कर लेने के पश्चात दशमी के दिन विजय उत्सव मनाया जाता है| जिसकी वजह से दशमी के भब्य आयोजन की परम्परा चली आ रही है| पश्चिम बंगाल, जहाँ दुर्गा-पूजा का आयोजन बड़े ही भव्य रूप में किया जाता है|
यहाँ कल रविवार को पुरे ही दिन नवमी की ही पूजा की गयी और दशमी की पूजा तथा सिंदूर-भरण का कार्यक्रम आज सुबह 11 बजकर 31 मिनट तक चलेगा और उसके बाद दुर्गा माता के विसर्जन का कार्यक्रम है| आज दोपहर 2:00 के बाद से ही राज्य के विभन्न गंगा घाटों पर, बड़ी संख्या में माता की प्रतिमा का विसर्जन का आयोजन होना है| अतः समूचे बंगाल में गंगा-घाटों पर काफी भीड़ रहेगी|
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Traditions: विजयदशमी को दशहरा भी कहा जाता है। दोनों ही रूपों में यह शक्ति की पूजा का पर्व है| शस्त्र पूजन की तिथि है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। प्राचीन काल में राजा महाराजा विजय दशमी के पावन दिन विजय प्राप्ति की प्रार्थना कर युद्ध के लिए प्रस्थान करते थे।
इस दिन लोग शस्त्र पूजन करते हैं और नया कार्य जैसे बही-खाते लिखना, नया बिजनेस शुरू करना, नए फसल के लिए बीज बोना आदि प्रारम्भ करते हैं । इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। राम-लीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजया दशमी हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है।
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Astrological Views: विजया दशमी के दिन मंदिर में नया झाड़ू दान करने से जीवन में आ रहे सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। विजया दशमी के दिन किया गया दान विशेष रूप से फलदाई माना जाता है, परंतु याद रखें, आप जो भी दान करें, उसे किसी को न बताये।आज के दिन शमी वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है। यदि आपके जीवन में धन संबंधी समस्याएं चल रही हैं तो विजया दशमी के दिन प्रदोषकाल में शमी-वृक्ष की पूजा करें और इस मंत्र का जाप करें।
शमी शम्यते पापम् शमी शत्रुविनाशिनी।
अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शिनी।।
करिष्यमाणयात्राया यथाकालम् सुखम् मया।
तत्रनिर्विघ्नकर्त्रीत्वं भव श्रीरामपूजिता।।
West Bengal govt issues Durga Puja 2020 guidelines, Read Here