13 - 13Shares
Devi Maha Gauri
देवी महागौरी: शारदीय नवरात्र का आज आठवां दिन है| नवरात्रि में आठवें दिन की पूजा देवी महागौरी को समर्पित है| इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं| देवी महागौरी की चार भुजाएँ हैं। वह एक बैल पर सवार है| इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा हैं। देवी महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजा-पाठ भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी है। इनकी आराधना से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। देवी महागौरी रूप में माँ करूणामयी, शांत और मृदुल दिखती हैं।
discover the Mystery of the Universe
पौराणिक कथाएँ: देवी महागौरी को लेकर अनेक कथायें प्रचलित है| पुराणों के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी| जिसकी वजह से उनका रंग काला पड़ गया| उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नीरूप में स्वीकार कर लिया और शिव जी ने उनके शरीर पर गंगा-जल का छिड़काव किया| तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान और गौर वर्ण की हो जाती हैं और तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए, देव और ऋषिगण कहते हैं:
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

प्रचलित मान्यतायें: आज आठवें दिन कुंवारी कन्याओं के पूजन की परंपरा रही है| पूजन में कम से कम 5, 7 अथवा 9 वर्ष की कन्याओं का पूजन करना चाहिए| कन्याओं की आयु किसी भी रूप में 10 वर्ष से ऊपर न हो| साथ ही गरीब कन्याओं को भोजन कराना श्रेयष्कर है और पूजन के बाद उन सब कन्याओं को खिला पिलाकर दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए| ब्राह्मणों को आज के दिन नारियल भेंट करना श्रेयष्कर है क्योंकि यह विधान है कि जिसे संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है, उसे ब्राह्मण को नारियल देना हितकर है| पूजा करने के बाद, पूजा पर चढ़ाया गया नारियल, ब्राह्मण को दे देना चाहिए|
Listen on YouTube शिव तांडव स्तोत्रम
आज अष्टमी के दिन पत्नी अपने पति की लम्बी आयु के लिए माता को चुनरी भेंट करती है और कुंवारी लडकियाँ आज के दिन अच्छा वर पाने के लिए देवी महागौरी की पूजाअर्चना करती है| माता को गुलाबी रंग बेहद पसंद है| अतः आज के दिन गुलाबी रंगों के वस्त्र पहने और पूजन में माता को प्रसाद में छेने से बनी हुई सन्देश इत्यादि भोग लगाये और साथ ही नारियल से बनी हुई मिठाइयों को भी चढ़ा सकते है| यह हमेशा याद रखे कि देवी दुर्गा के हर रूप में बेलपत्र चढ़ाना जरुरी है| दुर्बा का कोई काम नहीं|

Click to read Panchang-2020 for Vital Puja dates
देवी महागौरी की पूजा करने की विधि: वैदिक मंत्रों द्वारा देवी महागौरी सहित समस्त स्थापित देवी-देवताओं की पूजा करें और लाल चंदन, रोली, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्टाहार, सुगंधित द्रव्य, धूप, दीप, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा मंत्र तथा पुष्पांजलि आदि करें| माँ को सफ़ेद या गुलाबी फूल की माला पहनाएं तथा पूजा में बेलपत्र अवश्य चढायें और निम्नलिखित मंत्रो से देवी महागौरी का आवाहन करें|
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:||
Listen महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रं on YouTube
श्लोक
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
माता का स्तोत्रम्
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
Listen to Jaya Kishori on YouTube -श्याम रंग मन भायो
कोलकाता की पूजा पंडाल के बारे में जाने की इस बार की स्तिथि क्या कहती है क्योकि हाईकोर्ट के आर्डर के बाद पूजा पंडाल की रौनक गायब हो चुकी है:
Kolkata Puja 2020
हमारा मुख्य उद्देश्य हमारे सब्सक्राइबर्स को तमाम सही जानकारियाँ प्रदान करना है| साथ ही हमारा यह लक्ष्य है कि वो इन प्रकाशित मंत्रो को अपने विशेष दिनों की पूजा में जप कर सके ताकि उन्हें इसका फल प्राप्त हो| दुर्गा मंदिर वाराणसी के बारे में जाने|