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सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नचि, जय गणेश, जय गणेश
गणेश आरती: भारतीय धर्म और संस्कृति में गणेश जी का सर्वप्रथम स्थान है | बिना गणपति पूजन के कोई भी धार्मिक या शुभ कार्यक्रम शुरू नहीं किया जाता | अतःगणपति पूजन सर्वोपरी है | सत्यनारायण कथा या कोई भी मंगल अनुष्ठान हो | हर जगह गणेश जी का अपना अलग ही महत्व है |
भगवान शिव ने गणेश जी को यह वरदान दिया है कि वह सबसे पहले हर पूजा में पूजे जाएंगे | उसके बाद ही कोई अन्य देवी-देवताओं की आरती या पूजा की जाएगी और उस समय से आजतक यही परम्परा चली आ रही है | हर कोई किसी भी मंगल कार्य में गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम करते हैं क्योंकि गणेश जी को विघ्नहर्ता और विघ्नकर्ता कहा जाता है और यदि कोई भगवान गणेश की पूजा सर्वप्रथम ना करें तो विघ्न आना निश्चित है |

गणेश आरती की कथा : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए स्नान्कछ में जाने के पहले, एक बालक को जन्म दिया और उसे यह आज्ञा दी कि वह किसी व्यक्ति को अंदर ना आने दे | उस बालक ने माता पार्वती के आदेश के अनुसार वहां पहरा देना शुरू किया | थोड़ी देर के पश्चात् भगवान शंकर वहां पहुंचे और अन्दर जाने लगे तो उस बालक ने उन्हें रोका और अन्दर जाने से मना किया |
भगवान शिव को उस बालक पर बहुत गुस्सा आया और उन्होंने क्रोधवश अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया | तत्पश्चात माता पार्वती, जब स्नान-कक्ष से बाहर आई और उन्होंने उस बालक के सर को कटा हुआ पाया तो वह बहुत ही क्रोधित होकर भगवान शिव को उस बालक की सिर को जोड़कर उसे जीवित करने के लिए कहा | भगवान शिव ने यह आदेश दिया कि कल प्रात: जो कोई भी, सर्वप्रथम उत्तर दिशा की ओर सोया हुआ मिलेगा, उसके सिर को, इस बालक के धड़ पर लगाकर, इसे जीवित कर दिया जायेगा |
अगली सुबह, एक हाथी उत्तर दिशा की तरफ सिर रखकर सोया हुआ पाया गया | भगवान शिव ने उस हाथी के सिर को उस बालक के धड़ पर लगाकर उसे जीवित कर दिया और उसे गणेश जी का नाम दिया और साथ ही उसे यह वरदान दिया कि उसकी पूजन सर्वप्रथम की जाएगी | उसके बाद ही किसी देवी-देवताओं या मांगलिक कार्य सम्पन्न किया जायेगा | उस दिन से आज तक कोई भी मांगलिक कार्य भगवान श्री गणेश जी के पूजन के बिना सम्पन्न नहीं होते |
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा… यह गणेश जी की सबसे लोकप्रिय आरती है जिसके द्वारा भगवान श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है | भगवान श्री गणेश जी के इन भजनों को लोग बड़े उत्साह के साथ गाते है | गणपति जी के कई भजन नीचे दिए गए है, आप जो अच्छा लगे वह गायें, साथ ही एक मराठी भजन “सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नचि” भी लास्ट पेज में लिरिक्स के साथ दिया गया है ताकि आप इन भजनों को सुनकर भक्तिमय जीवन की संरचना करें :
गणेश आरती
|| श्री गणेश स्तुति ||
ओम गजाननंं भूतगणाधि सेवितम्, कपित्थजंबू फल चारु भक्षणम्|
उमासुतम शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम |
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ |
निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||
गाइए गणपति जगवंदन | शंकर सुवन भवानी नंदन ||१ ||
सिद्धि-सदन, गज-बदन, विनायक | कृपा-सिंधु, सुंदर, सब-लायक ||२ ||
मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता | विद्या वारिधि बुद्धि विधाता ||३ ||
मांगत तुलसीदास कर जोरे | बसहिं रामसिय मानस मोरे ||४ ||
|| ओम श्री परमात्मने नमः ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च, सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देवदेव ||
Click to Listen: महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रं
देवाधिदेव परमेश्वर ! आप ही माता और आप ही पिता हैं, आप ही बंधु और आप ही सखा हैं, आप ही विद्या और आप ही धन है, अधिक क्या कहूं, मेरे सब कुछ आप ही हैं |
|| त्वमेव माता च पिता त्वमेव ||
तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो, तुम्हीं हो बंधु च सखा तुम्हीं हो,
तुम्हीं हो साथी तुम्ही सहारे, ना कोई अपना बिन तुम्हारे |
तुम ही हो नैया, तुम ही खेवईया, तुम्हीं हो बंधु सखा तुम्हीं हो ||
जो खिल सके ना वो फूल हम हैं, तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं |
दया की दृष्टि सदा ही रखना, तुम ही हो बंधु सखा तुम्ही हो ||