अच्युतम केशवं- achyutam keshavan: श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में, भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था | उन्होंने भगवान श्री विष्णु के दसवें अवतार के रूप में कुछ ख़ास उद्देश्य की पूर्ति हेतु, इस पृथ्वी पर जन्म लिया था | कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में श्री कृष्ण के चरित्र विस्तुत रूप से उल्लेख किया है।
भगवान श्री कृष्ण को यशोदा और नंद ने पाला और उनका जन्म गोकुल में ही व्यतीत हुआ | बाल्यावस्था में उन्होंने बड़े-बड़े कार्य किए जो कि किसी मनुष्य के लिए संभव नहीं था | उन्होंने कंश का वध किया, पूतना जैसी कई राक्षस व राक्षसीन को मारा | द्वारका नगरी की स्थापना की और वहां अपना राज्य बसाया | उन्होंने महाभारत के युद्ध में पांडवों की मदद की और विभिन्न विपत्तियों से उनलोगों की रक्षा की | महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका अदा की और रणक्षेत्र में अकेले होते हुए भी उन्होंने उस युद्ध को जीता | महाभारत में इसका विस्त्रित्त विवरण है |
अच्युतम केशवं- achyutam keshavan
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभं|
कौन कहते हैं भगवान आते नहीं,
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं, जानकी वल्लभं|
कौन कहतेें है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं।
अच्युतम केशवं- achyutam keshavan
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभं|
कौन कहतेें है भगवान सोते नहीं,
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभं|
कौन कहतेें है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह हम नचाते नहीं।
अच्युतम केशवं- achyutam keshavan
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभं|
कौन कहतेें है भगवान नचाते नहीं,
गोपियों की तरह हम नचाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभं|
कृष्ण गोबिंद गोपाल गाते चलो
नाम जपते चलो काम करते चलो
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अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभं|